तुझको मैं प्रसन्न रख सकूँ
हे प्रभु, मुझे ये सिखा तू मेरा ईश्वर
सुशोभित परिशुद्ध आत्मा प्रभु
अपनी सीधी राह में लेकर चल मुझे
मेघ स्तम्भ तू, आग्नि स्तम्भ तू
शुभ ज्योति तू, पावन प्रभु।
तुझको देख अपने हाथों को
मैं उठा कर होता हूँ मगन
जैसी हाँफती हिरणी
हाँफता ये मन मेरा, हर एक दिन
हाँफते, हाँफते तड़पता है
मेरी इच्छा मेरी चाहत
मेरी आशा, तू ही तो है।
अपना प्रेम प्रति भोर को
दिखला दे करूणानिधि
अपने ईमानदारों को
अच्छी राहों के नक्शे कदम
हर दिन चलाओ, दिव्य प्रभु जी
प्रेम शिखर तू, प्रेम स्नेह तू.
मेरे मीत तू, मेरा धाम।