तेरे दिल के दर पर
यीशु खटखटाता
खोलो तुम दरवाज़ा
वह है आना चाहता
बनना चाहता है वह हाँ... हाँ
तेरा ही मेहमान आज
तेरा रंज और फिक्र
वह उठाना चाहता।
खुशी अपनी देता
होवे तू जलाली
रात दिन तेरे साथ ही
वह है रहना चाहता
नर्म आवाज़ से बोलता
मुआ तेरे वास्ते
छोड़ो बद सलूकी
खोलो दर मैं आता।
तेरी खातिर मैं ने,
पहिना ताज कंटीला
तुझको अब जलाली,
ताज हूँ मैं पहिनाता।
बेवफा न हो तू
मेरे खून ख़रीदे
कर मेरा इकरार तू
मुझसे क्यों शरमाता।
खोलता हूँ दरवाज़ा
दिल का ऐ मसीहा
आ और इसमें रह तू
हूँ मैं दिल से चाहता।
यीशु प्यारो कहता
कीमती वक्त है जाता
वक्त गया जो प्यारों
वापस फिर नहीं आता।