मेरे गुनाह की ली तूने सजा
चाबुक की मार
कुछ न दिया मैंने कुछ न दिया
बदले में प्यार के
ये क्या किया तूने ये क्या किया
जाँ देके तूने ये जीवन दिया
मरते हुए माफ़ करके गया
ज़ुल्म सितम मेरे
मेरे लिए तूने खाई सदा
दुनिया की ठोकरें
ये क्या किया तूने ये क्या किया
जाँ देके तूने ये जीवन दिया
दर्द था मेरा जो तूने सहा
चढ़ के सलीब पे
क़र्ज़ किया तूने मेरा अदा
काँटो और कीलों से
फिर भी न काम हुआ प्रेम तेरा
जाँ देके तूने ये जीवन दिया