कितना मधुर समय है (2) जब मेरा यीशु मुझको
चरणों में है बिठाता मुझको खाली करके
आत्मा से भरता जाता । (2)
मुझको हरी हरी घास में चराता जीवन जल भी पिलाता (2)
मुझको है बचाता जीवन में सुख वह लाता । (2)
चाहे मैं घोर अन्धकार से चलूँ, पानी से भी नडरूँ (2)
तेरी सोठी और लोठी से मन मेरा शान्ति है पाता (2)