कितना भलाई मुझको किया,
कैसे मैं धन्य कहूँ, प्रभु कैसे में धन्य कहूँ
धन्य राजा-(2) धन्यवाद हो, सदा तेरी। (2)
हाथों में थामकर पुतली की नाई,
रात दिन रक्षा किया (2)
दीनता में पड़ा था, दया करके याद किया,
तेरी स्तुति करूँगा (2)
पापों में मरा था, कुछ भी आशा न था,
बचा लिया अनुग्रह से (2)
जो कुछ तूने, किया मेरे लिए,
कैसे मै वर्णन करूँ (2)