खूबसूरत है मसीह तू
किस कलम रंग से लिखूँ
तेरे चेहरे पे है जो बात
होठों से केसे कहूँ
दिल तो डूबे फिर से डूबे
तेरी मुहब्बत में
तेरा चेहरा जो न देखूँ,
फिर भला कैसे जिऊूँ
तेरे चेहरे पे हे जो बात.....
कर सकें बयान न फरिश्ते
तेरी मुहब्बत का
मैं तो माटी हूँ दो पल की-2
में करूँ तो कैसे करूँ
तेरे चेहरे पे हे जो बात.....
कितने खुदगर्ज़ यहाँ लोग
नज्जर में प्यार नहीं
मर ही जाऊँ जो में तेरी
एक नज़र से दूर रहूँ
तेरे चेहरे पे हे जो बात.....