जो क्रूस पर कार्बान हे,
वह मेरा मसीहा है
हर जख्य जो उसका हे,
वह मेरे गुनाह का है
इस दुनियाँ में ले आए,
मेरे ही गुनाह उसको (2)
यह जुल्म सितम उस पर,
मैंने ही कराया है (2)
इन्सान है वह कामिल,
और सच्चा खुदा वह है (2)
वह प्यार का दरिया है,
सच्चाई का रास्ता है (2)
देने को मुझे जीवन,
खुद मौत सही उसने (2)
क्या खुब है कुर्बानी,
क्या प्यार अनोखा है (2)