जो दुजर्नों की बात पर चले नहीं
जो पाषियों के मार्ग पर रहे नहीं
निन््दा करने वालों में कभी रहे नहीं
और वह उस पर रात दिन करता मनन
है धन्य वो है धन्य-2
जो नहर के तट पर
रोपा गया पेड है
फलता जो ऋतु में अपनी
है हमेशा की तरह और जिसके पत्ते
मुझ्मते नहीं कभी नहीं
ऐसा शख्स जो ऐसे पेड के मानिन्द
है वो धन्य है
जो भी वो करे होवेगा सफल,
जो भी वो करेगा मिलेगा उसको
फल है धन्य वो है धन्य। (2)
लेकिन दुष्ट लोगों की तो
बात ही कुछ और है
भूसी के समान हैं वो जिसे
हवा उड़ाती है
शामिल हो नहीं सकते वो भक्तों की
सभाओं में हो नहीं सकते खडे वो परमेश्वर के सामने
होवेगा विनाश मार्ग दुष्टों का
धर्मियों की ज़िन्दगी रहेगी सवर्दा
है धन्य वो है धन्य...