जिसकी बख्शी गईं हों ख॒तायें
जिसके पापों को ढाँपा गया हो
वो धन्य क्या ही धन्य-2
जिसके मन में कभी धोखा नहीं रहता वो धन्य क्या
ही धन्य, कया ही धन्य
जब तक मैंने अपना पाप न स्वीकारा जब तक जुंबा मेरी चुप थी
करहाते-2 गली मेरी हडिड॒याँ
तेरा हाथ था मुझपर भारी
तब जब तेरे सम्मुख पाप को स्वीकारा
क्षमा किया तूने मुझको,
मुझे पापों से बख्शी मुक््ती...
तू मेरा आसरा छिपने की जगह है संकट में मेरी पनाह
तू घेरेगा मुझको मुक्ति के नगमों से प्रभु तू चारों तरफ से
आओ धर्मियों आनन्दित हो, यहोवा में मगन हो गाओ ऐ सच्चे
मन वालो उसके प्रेम की जय गाओ