जिंगल बेल्स, जिंगल बेल्स, जिंगल आल द वे
ओ एक घोड़े की खुली बेपहियों की गाड़ी में सवारी करने में कितना मज़ा आता है
रात क्रिसमस की थी
हो ना तेरे बस की थी
ना मेरे बस की थी
रात क्रिसमस…
चांद पेदों पे था
और मैं गिरजे में थी
तू ने लब छू लिया
जब मैं सजदे में थी
कैसे भुलौंगी मैं
वो घडी गश की थी
ना तेरे बस…
तुम अकेले ना थे
मैं भी तन्हा न थी
मुझमें सब कौफ थे
तुमको परवा न थि
तुम तो कमसिन ना थे
मैं भी उन्नीस की थी
ना तेरे बस…
ख़ूबसूरत थी वो
उमर-ए-जज्बात कि
जिंदगी दे गई
रात खैरात किस
क्या गलात क्या सही
मर्जी जीसस की थी