हम तीन राजा मशरिक के हैं
सिजदा करने हम आएं हैं,
सफर दूर का पीछा नूर का
कर के हम सब आए हैं
ऐ रब्ब के तारे अजूबा
शाही तारा खुशनुमा,
आगे चलके, राह दिखा के
कामिल नूर तक पहुंचा
सोना लाया में ऐ बादशाह
बैतलहम है जिसकी दरगाह
तू ताजदार है, यह आश्कार है
तू है अबदी शाहनशाह
मैं लोबान भी साथ लाया हूं
ताकि तुझ को नज़र में दूं,
दिल-ओ-जान से, और ईमान से
तुझ को खुदा मानूं
मुर्र में लाया मौत का निशान
क्योंकि देगा तू अपनी जान
दुःख उठाके, खून बहाके,
होवेगा मसीह कुरबान