दिन में बादल की छाया बना,
रात में अग्नि की ज्वाला बना,
रक्षक बना हमारा, (2) प्रभुजी,
सुख शान्ति से संभाला।
धन्य धन्य तुझको
जिसने मुक्ति दी हमको,
शरण में अपनी लाया
प्रभु जी, दिन-रात है संभाला।
वचन का मनन्ना खिलाया हमें,
पानी चट्टान से पिलाया हमें,
आत्मा को तृप्त है किया,
प्रभुजी, दिल में तू शान्ति लाया ।
इस सुन्दर आत्मिक जीवन में,
प्राण, आत्मा, शरीर और हृदय में,
है स्वर्गीय जीवन डाला
प्रभु जी, आत्मिक जागृति लाया ।
कनान देश में लाया मुझे,
सन््तों के साथ मिलाया मुझे
दण्डवत तुझे करूं में,
प्रभु जी, साष्टांग प्रणाम करूं में ।