देखो पिता ने केसा महान
प्रेम हमसे किया है।
कि हम सभी उसकी संतान
कहलाएं जा सकें
ओर हम हें भी! (2)
4. कृपा मुझ पर है किया इतना
सीमाओं का कोई अंत नहीं
प्यार मुझसे है किया इतना
गहराई का कोई नाप नहीं
धन्य हुआ मैं
ऐसे प्यार और कृपा से
जो महान पिता ने दिखाया
देखो पिता ने.....
2, गुज़र जाऊँ मैं नदी से होकर
उसकी गहराई न डुबाएगी
चला जाऊँ मैं अग्नि से होकर
उसकी लौ ना झुलसाएगी
नहीं डरूँ मैं अग्नि और पानी से
उस महान पिता ने छुड़ाया