छू मुझे छू खूदा रूह मुझे छू
मेरी जाँ को, मेरी रूह को
मेरे बदन को छू (2) छू मुझे छू-
मिट्टी को कुम्हार जैसे
हाथों से अपने सँँवारे
यूँ ही, कलामे-ऐ-खुदावन्द
गूंदे हमें और निखारे (2)
भर, मुझे भर
खुदा रूह मुझे भर
छू, मुझे छू
जीवन की ज्योत, जला यूँ
जैसे जले ज्योत तेरी,
सोचें हो मेरी भी ऐसी
जैसी है, सोच तेरी
ले मुझे ले, खुदा रूह मुझे ले
छू मुझे छू