चढ़ाता हूं मैं धन्यवाद प्रभु
क्रूस के उस प्रेम के लिये,
मारा गया और गाड़ा गया था
जी उठा मेरे लिए ।
3. काँटों का ताज पहिना तू ने सिर पर
हाथ पाँव ठोके क्रूस पर तेरे,
हुआ था बलि मेम्ने को नाई,
सहा सब मेरे लिए। (2)
2. दुःख सहा तूने कि शान्ति मैं पारऊँ,
क्रूस पर चढ़ा कि पाऊं मुकुट,
मरन को सहा कि जीवन में पारऊँ,
कैसा प्रेम मेरे लिए। (2)
3. देखता हूँ महिमित स्वर्ग तेरा,
न पाया गुण से यह मेरे,
खुशी के आंसू के साथ भरजूँ मैं,
यह सब दान मेरे लिए। (2)
4. घृणित पाप से करता हूँ घृणा,
क्रूस पर वह हो गया है दूर,
लगाओ सिंहासन मेरे हृदय में,
गाऊ मैं तेरे लिए। (2)