अपना के देख लिया दुनिया को जहां में भी
एक भीड़ मिली मुझको अपना न मिला कोई
दुःख दर्द चला कहने जब भी उसी भीड़ से जब भी मैं
सुन तो लिया सबने पर साथ दिया न कोई
किस किस को पुकारूँ मैं, अब और जहां में प्रभु
बस सुनली पुकार मेरी एक बार तो प्यारे प्रभु
जग साथ न देगा मेरा, पर साथ तो देगा तू ही
सब कुछ को परख कर के आया हु शरण तेरी
बस तू ही सच्चा प्रभु और दूजा नहीं कोई.