अभिषेक कर, अभिषेक कर (2)
अभिषेक मुझे तू कर
जिस तरह हिरन तड़पता हे,
पानी के झरनों के लिए
मेरा मन प्यासा हे,
पवित्र आत्मा तेरे लिए (2)
मैं प्यासा हूँ मेरी प्यास बुझा
हिरन की तरह तुझे ढुँढ रहा
प्रभु प्यास मेरी बुझा
जीवन के बोझ तले,
मैं यूँ ही दबा रहा
जीवन के झरनों से
प्रभु में अनजान रहा (2)
अपने लहू से मुझे शुद्ध कर
नए जीवन को मुझमें तू भर
प्रभु प्यास मेरी बुझा