आत्मा दान की राह बताकर
सेवक सा विनम्र होकर
येशु ने शिष्यों के पाँवों को धोया
प्रेम संदेस दिया
सेवा का धर्म सिखाकर
अपने को शून्य बनाकर
तुम कहते मुझ को गुरूकर
तो चलना मेरे पथ पर
है एक ही आज्ञा प्यारो
तुम करना प्यार परस्पर
अब से तुम दास नहीं हो
मैंने सबको मित्र कहा है
न किसी को देना हनी
बोलो मुख से मीठी वाणी
तुम मनो मेरा कहना
सब भाईओं जैसे रहना