आओ मसीह के पास
आओ मसीह के पास, की अब वो बुला रहा – 2
तौबा करो गुनाह से, वो लहू बहा रहा – 2
दर दर हो क्यों भटकते, जीवन की रह में
एक बार आके देखो, येशु की बाहं में
कितना भी हो अँधेरा – 2
ज्योति देने तुम्हे
अब वो बुला रहा – 2
तोडा है हर किसी न, तुम्हारे विश्वास को
शायद सभी कुछ पा कर खोया है आस को
कितनी हो न उमीदी – 2
आशा देने तुम्हे
अब वो बुला रहा – 2
धुप और छांव है ज़िन्दगी लम्बा है ये सफ़र
साया भी साथ छोड़ता येशु है हम सफ़र
कितनी कठिन हो रहें – 2
मंजिल देने तुम्हे
अब वो बुला रहा – 2